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पेट में पेचिश या मरोड़ (आंव) क्यों होता हैं?
मल त्याग के समय या उससे पहले अंतडीयों में ऐठन व दर्द हो, तो समझ लेना चाहिए की यह पेचिश या मरोड़ हैं. इस रोग में अंतड़ी के निचले हिस्से में थोड़ी-सी सुजन हो जाती है.मल के साथ आव या खून निकलने लगता है | आव जब खून के साथ हो , तो आयुर्वेद में उसे रक्तातिसार कहते हैं. कुछ स्थानों में यह रोग मक्खियों कारण फैलता है. रोग के रोगाणु रोगी के मल में पाए जाते हैं.मक्खियां इस मल पे आ कर बैठती है तो वे उनको छोड़ देती है. उन वस्तुओं को खाने वाले के शरीर में वे रोगाणु प्रवेश कर जाते हैं. कच्चा या न पचने वाला भोजन यदि पेट में देर तक पड़ा रहता है तो पाचन-संस्थान बिगड़ जाता है तथा आंव और दुसरे पेट सम्बंधित रोग पैदा हो जाते हैं.
रोग की पहचान कैसे करें ?
पेचिश या आंव होने पर बार बार दस्त होते हैं और पेट में ऐठन भरा दर्द होता है. मल के साथ आंव तथा कभी लाभी खून भी निकलता है. ये पेचिश दो प्रकार की ह्होती हैं.
1. वैसिलरी पेचिश – इस तरह के पेचिश में बीस-पचीस दस्त आना मामूली सी बात है. इसमें पेट में बहुत अधिक मरोड़ होता है. दस्त के साथ खूनी दस्त निकलने के कारन रोगी कमजोर हो जाता है. कभी कभी तो ऐसा भी होता है की बुखार भी लग जाता है.
2. अमिबिक पेचिश – इसमें रोगी के पेट में मरोड़ अधिक रहती है और पांच से छः दस्त आते हैं. दस्त में आंव आ जाते हैं.
आइये जानते है इसके कुछ घरेलु उपचार:-
- जामुन का रस दो चमच, गुलाब का जल दो चमच , थोड़ी सी चीनी. तीनो को मिला कर रोगी को पिलाएं. खुनी पेचिश के लियेव सबसे कारगर औसधी है.
- इमली के बीजो के ऊपर का लाल छिलका पानी में घोल कर रोगी को पिलायें. आराम मिलेगा.
- सूखे आवलों को रात में भिंगो दें और सुबह पानी छान कर इसका सेवन करे .
- काली गाजर के चार चमच रस पिने से पुरानी से पुरानी पेचिश भी दूर हो जाती है.
- गन्ने के रस में अनार का रस मिला कर पियें. इससे भी पेचिश में काफी आराम मिलता है.
- पुरानी पेचिश की शिकायत हो तो रोगी को बेल का गुद्दा या बेल का मुरब्बा दें. बहुत जल्द आराम मिलेगा.
पेचिश रोग का आयुर्वेदिक उपचार:-
- एक चमच सोंठ व दो चमच त्रिफला दोनों का काढ़ा बना कर सेवन करें. आराम मिलेगा.
- अनार दाना दस ग्राम,फूली हुई फिटकरी पचीस ग्राम, हरे पुदीना के पत्ते बीस से पचीस, कला नमक पांच ग्राम, दस से पंद्रह काली मिर्च के दाने. सबको महीन पिस लें और इस चटनी में से थोड़ी सी सुबह में और थोड़ी सी शाम को चाट ले.
होम्योपैथिक में मिलने वाली दवाई :-
- अगर पेचिश की शिकायत बच्चो को है, तो उन्हें पेट्रोलियम तथा इपीकाक देना चाहिए.
- नयी और पुरानी दोनों तरह के पेचिश में एलो-साकोट्राइना 2X – 200 दें.
- आँतों में घाव तथा पुरानी पेचिश होने पर अर्जेंट नाईट्रीकम 3, 200 दें.
इस बीमारी में भोजन एवं परहेज:-
- सबसे पहले क्रोध, मानसिक अशांति, शंका, भय, इर्ष्या, द्वेष आदि से अपनों को बचाएँ, क्रोध से पेचिश के रोग में जल्दी आराम नहीं मिलता है. अतः मन को स्थिर तथा शांत रखना बहुत ही जरुरी है.
- सुबह शाम टहले का क्रम लगातार जारी रखें. दोपहर के भोजन के बाद घंटा भर आराम करें. और शाम के भोजन के बाद टहलें.
- बासी भोजन मिर्च मसालेदार भोज्य पदार्थ देर से पचने वाली कड़ी चीजे तथा बासी पानी ना पियें.
- नित्य स्नान करे, स्नान से पहले शरीर की सरसों के तेल की हलकी मालिस कर लें, तो शरीर में ताजगी आ जाएगी.
- पानी में निम्बू निचोड़ कर पियें या पिने के लिए दें.
- मुंग के दाल की पतली खिचड़ी रोगी को दें. और मीठी चीजें कम दें.
नोट:- यह हमारी सलाह मात्र है. कोई भी होमियोपैथिक दवाएं लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरुर लें.
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