आपके कर्मो से पता चलता है असल ज़िन्दगी में आप क्या हैं
दोस्तों नमस्कार, आज मैं ANMOLSOCH पर एक और INSPIRATIONAL कहानी शेयर कर रहा हूँ. हम और आप असल जिंदगी में क्या हैं. यह हमारे किये गए कर्मों से पता चलता है. हम या आप जो कुछ भी सोचते हैं उससे तो सिर्फ यह पता चलता है की, हम क्या बनना चाहते हैं.
एक बहुत ही अमीर व्यक्ति था जिसके तीन बेटे और एक बेटी थी. उसकी बेटी की शादी हो चुकी थी और वह अपने घर जा चुकी थी. लेकिन उसके तीनो बेटे हर वक़्त यही साबित करने में लगे रहते थे की मैं ही सिर्फ आपको सबसे ज्यादे प्यार करता हूँ, मान सम्मान करता हूँ. आपका असली वारिश तो मुझे ही होना चाहिए. पिताजी उनकी बातें सुनते रहते थे. एक दिन ऐसा भी आया की उने पिता की मृत्यु हो गयी. उनके पिता की अर्थी दरवाजे पर थी. अब अर्थी को शमशान घाट तक ले जाने की तैयारी हो ही रही थी की अचानक से एक व्यक्ति आकर सामने खड़ा हो गया. उस आदमी ने कहा की मैं इनकी अर्थी उठने ही नही दूंगा. वहां पर खड़े सारे लोग हैरान हो गये और बोले – ये क्या कह रहे हैं आप ? उस आदमी ने कहा जो आदमी मर गया उसने मुझसे 15 लाख रूपये लिए थे. वह रुपया मुझे जब तक नही मिल जाता तब तक मैं अर्थी नही उठने दूंगा.
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अब तीनो बेटे ने कहा- नहीं-नहीं मेरे पिताजी ने तो हमसे इस कर्ज के बारे में कभी नहीं बताया तो, हम कैसे कर्ज चूका सकते हैं. उसके बाद उनके पिता के भाइयों की बात आयी. उन्होंने कहा की जब बेटे कर्ज देने से मना कर रहे हैं तो हम कैसे देंगे. हम नही देंगे. ये बहस काफी देर तक होता रहा, और वह व्यक्ति अर्थी को दरवाजे पर रोके खड़ा था. यह बात अब अंदर घर के महिलाओं तक पहुंची. और उस अमीर व्यक्ति की बेटी भी घर आई हुई थी. यह बात अब यह बेटी को भी पता चली. बेटी तुरंत घर से बाहर आई. जो भी गहने वह पहनी थी उसको उतार कर उस आदमी के हाथ में रख दी और बोली मेरे पास कुछ नगदी पैसे हैं वह भी आपको ला कर दे दूंगी. मैं इस किसान की बेटी हूँ, कृपया मेरे पिताजी की अर्थी को उठने दीजिये. वह आदमी मुस्कुराया और बोला- मुझे इस किसान का असली वारिस मिल गया. यह व्यक्ति मुझसे अक्सर कहा करता था की मेरे मरने के बाद मेरा असली वारिस कौन है इसका चुनाव करूँ. आज मुझे इनका असली वारिस मिल गया.
हम सब लोग सामने वाले से बहुत कुछ एक्स्पेक्ट करते हैं की हमें ये चीज मिलना चाहिए, खासकर के अपने से बड़ो से, अपने पेरेंट्स से. सब पर अपना अधिकार समझते हैं. लेकिन जब कर्मो की बारी आती हैं तो हम पीछे हट जाते हैं.
लेकिन एक बात हमेशा ध्यान में रखिये , जो व्यक्ति अपना कर्तव्य निभाता है अधिकार सिर्फ उसी व्यक्ति को मिलता है. आप अपने कर्मो से यह प्रूफ करते हैं की आप सत्य में क्या हैं. शब्दों से तो आप सिर्फ यह इशारा करते हैं की हम यह बनना चाहते हैं. तो किसी भी व्यक्ति के शब्दों पर नही उसके कर्मों पर ध्यान दीजिये.
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