Char Minar | चारमीनार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी | चारमीनार इतिहास
नमस्कार पाठकों, जैसे ही हम हैदराबाद का नाम लेते हैं तो हमारे सामने चारमीनार का एक बहुत ही सुन्दर सा चित्र दिखने लगता है। इस मीनार को सुल्तान कुली क़ुतुब शाह के द्वारा बनाया हुआ यह स्मारक हैदराबाद के साथ भारत देश की शान रहा है। लेकिन इस सुन्दर चारमिनार की असली कहानी क्या है? आज मैं आपको इस पोस्ट में बताने जा रहा हूँ।
आशा करता हूँ आज की हमारे द्वारा दी गयी यह जानकारी आपको बेहद पसंद आएगी। और इस लेख के अंत में कुछ बहुत ही मजेदार रोचक तथ्य आपको पढने को मिलेगा जो की इस सुन्दर चारमिनार से जुड़ा हुआ है। ऐसे ही और लेखों को पढने के लिए आप Bell Notification को जरुर ऑन कर लें या आप हमारे टेलीग्राम चैनल से भी जुड़ सकते हैं।
जैसे की मैं आपको पहले भी बता चूका हूँ की चारमिनार हैदराबाद का पहचान है। लेकिन बहुत ही कम लोग हैं जो इसकी असली कहानी के बारे में जानते हैं। दरअसल इस भव्य ईमारत के वजूद में आने के साथ ही हैदराबाद के निर्माण की कहानी प्रारंभ हो जाती है। हैदराबाद शहर 1591 ईसवीं में बना था। कुतुबशाही राजवंश की शुरुआत सन 1518 ईसवीं में हुई थी और गोलकोंडा उसकी राजधानी हुआ करती थी। समय के साथ साथ गोलकोंडा की आबादी इतनी अधिक बढ़ गयी की राजवंश के पांचवें शासक मुहम्मद कुली क़ुतुब शाह को एक नया शहर हैदराबाद बनवाने का ख्याल आया। हैदराबाद शहर को गोलकोंडा और मछलीपटनम के बिच बनाया गया।
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उस समय मछलीपटनम इलाके का सबसे मशहूर बंदरगाह हुआ करता था। गोलकोंडा की भीढ़-भाढ़ और घनी आबादी की वजह से ही शायद हैदराबाद को फूलों की तरफ़ बनाने की योजना बनाई गयी। बागों के शहर के बीचोबीच कुतुबमीनार है। इसलिए इसे बागनगर के नाम से भी जाना जाता है। इस चारमिनार की आकृति चौबारा की तरह है। और इसके चारों मीनार चारों दिशाओं के तरफ़ है। इस चारमिनार को लेकर कई कहानियां प्रचलित है। जिनमें से एक मैं आपको इस लेख में बताने जा रहा हूँ। आशा करता हूँ आपको यह कहानी बहुत ही दिलचस्प और ज्ञानवर्धक लगेगी। कुली क़ुतुब शाह और भागमती की मोहब्बत की याद में बनवाया गया था। इसिलए इसे ताजिये का रूप दिया गया। चारमिनार के ऊपर एक मस्जिद और एक मदरसा भी है।
चारमिनार का निर्माण:-
हैदराबाद के चारमिनार का निर्माण ग्रेनाइट और चुने के गारे से हुआ है। यह एक दिलचस्प इमारत है। क्योंकि ये ना सिर्फ चौबारा है बल्कि इसकी पूरी सतह पर एक मस्जिद और मदरसा भी है। चारमिनार पुराणी हैदराबाद शहर के बीचोबीच बसा हुआ है। और इसके इर्दगिर्द कई क़ुतुब शाही इमारते थी।
यह भी इतेफ़ाक ही है की हैदराबाद और चारमिनार नींव इस्लामिक कैलेंडर की हजारवें साल में पड़ी थी। और यही वजह है की हैदराबाद को सह शताब्दी का शहर भी कहा जाता है। चारमिनार का महत्व इसके इतिहास बनावट या इसके खूबसूरती में ही नहीं है, बल्कि ये शहर के अतीत और वैभव की निशानी भी है।
अलग अलग शासकों और सरकारें समय समय पर चारमिनार का उपयोग अपने शासन को उतबेगता प्रदान करने और पहचान दिलाने के लिए करती रहती है। यह सिलसिला तेलंगाना राज्य के गठन तक जारी रहा। आज चारमिनार (Char Minar) सहित क़ुतुब शाही स्मारक उनेसको वर्ल्ड हैरिटेज की संभावित सूचि में है। आशा की जाती है की in धरोहरों को स्थायी रूप से वर्ल्ड हैरिटेज का हिस्सा बनाने के लिए जल्द पहल शुरू होगी ताकि इन्हें नया जीवन मिल सके।
चार मीनार (Char Minar) के बारे में रोचक तथ्य –
- कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में चारमीनार (Char Minar) को बनवाया था।
- हैदराबाद शहर प्राचीन और आधुनिक समय का अनोखा मिश्रण है जो देखने वालों को 400 वर्ष पुराने भवनों की भव्यता के साथ आपस में सटी आधुनिक इमारतों का दर्शन भी कराता है।
- क़ुतुब शाही वास्तुकला के कुछ उत्कृष्ट उदाहरणों को प्रदर्शित करता है – 1) जामी मस्जिद, 2) मक्का मस्जिद 3) तौली मस्जिद, 4) बेशक हैदराबाद का प्रभावशाली चिन्ह, चार मीनार।
- कहा जाता है की चारमीनार की चार मीनारे (Char Minar) इस्लाम के पहले चार खलीफो का प्रतिक है।
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- चार मीनार (Char Minar) के उत्तर में जो प्रमुख द्वार हैं वहां चार प्रवेश द्वार हैं, जिसे चार कमान कहते हैं।
- चार मीनार के हर एक वक्र पर एक घडी लगी हुई है जो 1889 में बनायी गयी थी।
- चार मीनार (Char Minar) के उपरी मंजिल पर जाने के 149 हवाई सीढियाँ चढ़ने की जरुरत होती है। सभी मीनारे 149 हवाई सीढियो से पृथक की गयी है।
- चारमीनार न सिर्फ अपनी भव्य उपस्थिति बल्कि पुराने समय के गौरव के कारण भी बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
- कहा जाता है की इसका निर्माण करने के बाद मुहम्मद कुली ने वहा अल्लाह से प्रार्थना की थी। फ्लेग बीमारी की वजह से।
- चारमीनार में पत्थरो की बालकनी के साथ ही एक छत और दो गैलरी भी है जो छत की तरह दिखाई देती है।
- चार मीनार संरचना ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार और चूर्णित संगमरमर से बना है।
- मीनार की मुख्य गैलरी में 45 लोगो के नमाज पढ़ने जितनी जगह है।
- कहा जाता है की चारमीनार और गोलकोंडा किले के बिच एक गुप्त मार्ग भी बना हुआ है, जो पहले कुली कुतब शाह की राजधानी थी और आपातकालीन समय में इस गुप्त मार्ग से राजघराने के लोगो को सुरक्षित रूप से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था। लेकिन आज भी उस गुप्त द्वार की वास्तविक जगह किसी को नही मिल पाया है।
- शहर जितनी पुरानी ये चार मीनारें इस भवन के साथ पुराने शहर के मध्य में हैं और ये क़ुतुब शाही युग का हॉल मार्क हैं।
- कहा जाता हैं की 1824 में मीनार पर बिजली गिर गयी थी, जिसे 100000 लागत से मरम्मत किया गया था।
- “आर्क डी ट्राइम्फ ऑफ द इस्ट” नामक चार मीनार (Char Minar) हैदराबाद की पहचान है।
- चार मीनार (Char Minar) हैदराबाद रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किलो मीटर की दूरी पर है। वही अगर बस जाना चाहते हैं तो यह हैदराबाद बस स्टेशन से 5 किलो मीटर की दूरी पर है।
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