Dark truth social media | सोशल मीडिया का काला सच- 2022
नमस्कार पाठकों, आज की जो टॉपिक है- सोशल मीडिया का काला सच-2022, यह हर एक युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही Useful होने वाला है।अगर आप आने वाले नए वर्ष में कुछ नया और धमाकेदार करना चाहते हैं, तो आप इस लेख को पूरा जरुर पढियेगा। अगर आप खुद की लाइफ को लेकर सीरियस नही हैं, तो आप इस लेख को यहीं पर छोडकर चले जायें।
मार्क्स जुकरबर्ग से एक बार पूछा गया- क्या आप बता सकते हैं की पिछली रात आप किस होटल में ठहरे थे? पहले तो मार्क्स जुकर्बेर्ग ने खूब सोचा और फिर बाद में उन्होंने ना कह दिया। थोड़ी देर बाद उनसे पुनः एक सवाल पूछा गया। क्या आप बता सकते हैं की पिछली बार आपने किस को सन्देश भेजा था। उन्होंने कहा नहीं, यहाँ मैं इतने लोगों के सामने नहीं बता सकता।
पाठकों, जिस व्यक्ति को हर इन्सान के बारे में जानकारी है, वह खुद के बारे में कुछ भी नहीं बताना चाहता है।
आज हम सोशल मीडिया के ऐसे सच्चाई को जानेंगे, जिसे सुनने के बाद आपका होश उड़ जायेगा।
आज के इस डिजिटल युग में शायद ही कोई युवा होगा, जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल नही करता होगा। आप भी करते हो और यहीं वजह है की आप मेरे इस लेख को पढ़ रह हो। दोस्तों वास्तव में सोशल मीडिया प्लेटफार्म स्मार्टफोंस के लिए बनाई गयी थी, लेकिन आज सभी फोंस सोशल मीडिया के लिए बनाएं जाते हैं।
पाठकों आप जब भी कोई एप्प इनस्टॉल करते हैं और उसपर अकाउंट बनाते हैं और अपनी सभी इनफार्मेशन को शेयर करते हैं। आपने एक बात तो जरुर नोटिस किया होगा की वह एप्लीकेशन आपसे आपका एड्रेस पूछती है। ऐसा इसलिए करती है ताकि उस एप्प को खोलने के बाद आपको वह दिखाया जाए जिसमें आपका इंटरेस्ट हो। Dark truth of social media
ऐसा करने से आप किसी खास एप्प पर बोरियत महसूस नहीं करते हैं, और ज्यादा वक्त आप उस सोशल मीडिया साईट या एप्प पर बिताते हैं और इसका सारा बेनिफिट सोशल मीडिया प्लेटफार्म को जाता है और नुकसान आपके हिस्से में आता है। कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म आपकों जानने के लिए ज्यादा वक्त नहीं लेते, सिर्फ और सिर्फ दो मिनट के अन्दर आपकों अच्छे से जान लेते है, और एक बार जब आप उसके जाल में फंस जाते हैं, तो चाहकर भी आप बाहर नहीं निकल सकते। Dark truth of social media
आपने नोटिस किया होगा की आप सिर्फ एक notification देखने के लिए Facebook या अन्य Apps पर जाते हैं, लेकिन वहां जाने के बाद आपको ऐसी ऐसी चीजें दिखाई जाती है की आप घंटों अपना वक्त वहां स्पेंड कर देते हैं और वक्त का पता ही नहीं चलता।
आज के इस पोस्ट में हम इन सोशल मीडिया Apps के पीछे का साइंस समझते हैं की आखिर इसे किस तरह से डिजाईन किया जाता है की हम इसके एडिक्ट हो जाते हैं? आखिर क्यों हम ना चाहते हुए भी सोशल मीडिया apps को बार बार open करते हैं और अपना वक्त बर्बाद करते हैं?
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अगर आप इस लेख को पढ़ते हुए यहाँ तक आ गए हैं तो कृपया पूरा लेख पढ़ कर ही जाइएगा। मैं गारंटी के साथ कह सकता हूँ की यह लेख आपके सोशल मीडिया के लत को छोड़ाने में बहुत हेल्प करेगा।
पाठकों, जीन लोगों ने भी इन सोशल मीडिया apps को डिजाईन करा है, उन्होंने बहुत ही बारीकी से इंसानी दिमाग को Read किया हुआ है। जिन्हें यह पता रहता है की इंसानी दिमाग किस तरह से काम करता है और हमें किस तरह से इनसे Work करवाना है? देखों इंसानी दिमाग की एक फितरत होती है, खुद की तारीफ़ सुनने की।
क्योंकि हर इंसान को अपनी तारीफ़ सुनने के बाद में एक अजीब सी कमाल की फीलिंग आती है। कई बार होता ऐसा है की वास्तविक जीवन में कोई तारीफ़ करता नहीं है, और तारीफ़ सुनने के लिए सोशल मीडिया पर लोग अपनी फोटो शेयर करते हैं।
अभी मैं जितनी भी बातें आपके साथ शेयर कर रहा हूँ मैंने ऐसा खुद महसूस किया है। सोशल मीडिया पर या काल्पनिक दुनिया में अपनी तारीफ़ सुनने के लिए लोग पता नहीं कितनी मेहनत करते हैं। यहाँ तक तो कुछ हद तक ठीक था की हम अपने फोटोज और वीडियोस को शेयर कर रहे हैं और हमें लाइक्स और कमेंट भर-भर के मिल रहे हैं, जिससे हम ख़ुशी महसूस कर रहे हैं। Dark truth of social media
यहाँ तक आने के बाद कुछ ऐसा होता है, जिसके बारे में आपने कल्पना भी नहीं किया होगा। पाठकों, हमने आपसे शुरू में ही बात किया था की खुद की तारीफ़ सुनना इंसानी दिमाग की फितरत होती है। लेकिन इंसानी दिमाग की एक यह भी फितरत ही की वह खुद को दूसरों से तुलना कर सके।
आपने कोई फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया, सामने वाला जब आपकी फोटों को देखता है तो वह आपको खुद से Compare करने लगता है। ठीक वैसे ही आप भी करते हो। आप भी खुद को दूसरों के साथ Compare करते हो और खुद को दूसरों से बेहतर दिखाने के लिए इस जाल में फंसते चले जाते हो।
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अगर देखा जाये तो यह भी कोई बड़ी समस्या नहीं है। मुख्य समस्या तो यह है की इंसान वास्तविक जीवन में उदास होकर सोशल मीडिया पर हैप्पी वाला फ़ोटो शेयर कर रहा है। सामने वाला इंसान को यह लगता है की यह इन्सान कितना खुश है और मैं कितना उदास हूँ। यह चैन कितनी लम्बी है, आप इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।
इन सभी चीजों का blame हम खुद पर भी नहीं डाल सकते, क्योंकि तारीफ़ सुनना और खुद को दूसरों से तुलना करना इंसानी दिमाग की फितरत है। इसी का फायदा उठाते हैं ये सोशल मीडिया Apps वालों ने। क्या हमने कभी ये सोचा है की आखिर ये ऐसा क्यों कर रहे हैं?
इनका सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद है की आप अधिक से अधिम समय इनके Apps पर बिता सकें और इनसे इनकी मोटी कमाई हो सके। ये कहते हैं हम एंटरटेनमेंट करने के लिए ऐसा कर रहे हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। एंटरटेनमेंट के नाम पर ये हमारे दिमाग के साथ खेल रहे हैं।
अगर आप इसकों और अच्छे से समझना चाहते हैं तो आप “सोशल डाइलेमा” हॉलीवुड मूवी को देख सकते हैं। इसमें दिखाया गया है की ये सोशल मीडिया Apps वाले एक इन्सान को अपने जाल में फंसाने के लिए क्या क्या हथकंडा अपनाते हैं?
आपने कैसिनो का नाम तो सुना ही होगा, अगर नहीं सुना है तो सिर्फ इतना समझ लो की यह एक जुए वाला गेम है और बहुत ही ज्यादा एडिक्टिव गेम है। जिस तरह से कैसिनो को डिजाईन किया गया गया है, ठीक उसी तरह से सोशल मीडिया Apps को भी डिजाईन किया गया है। आज के युवा पीढ़ी पर इसका कितना असर पड़ रहा है आप सोच भी नहीं सकते।
हम दूसरों की फेक लाइफ से अपनी रियल लाइफ को compare कर खुद को इतना गन्दा बना रहे हैं, जितना सोच भी नहीं सकते। दूसरों के फेक वाली हैप्पी लाइफ को देखकर खुद को कचड़ा समझने लगे हैं। इन्ही सभी के वजह से हम अपनी अच्छी खासी लाइफ को भी कबाड़ समझने लगते हैं। जबकि हो सकता है Behind the Scene सामने वाले की जिंदगी आपके जिंदगी से बत्तर हो।
इसमें कोई शक नहीं है- सोशल मीडिया के वजह से हम स्मार्ट, हैप्पी, कनेक्टेड तो हुए हैं, लेकिन साथ ही हम डिवाइडेड, Anxious, फेक, lazy, dump, depressed और रियल लाइफ में Disconnect भी हो चुके है। हम सब एक हैप्पी पिक्चर के साथ में एक हैप्पी इंसान बन गए है। हमें अपने लिए जीना है, न की दूसरों के लिए। हमें वो करना है, जिसमें हम खुश हैं।
आप जो हो, जैसे हो वैसा ही दिखाओं, फेक बनने की और दिखानी की गलती मत करों। सोशल मीडिया पर कम और रियल लाइफ में ज्यादा खुश रहने की कोशिश करों। अगर कनेक्ट रहना है तो लोगों से रियल लाइफ में कनेक्ट रहो, न की सोशल मीडिया पर।
आज मैं आपको अपने रियल लाइफ की बात बता रहा हूँ, जब मैं रायगढ़ रहता था। यह करीब दो साल पहले की बात है। एक बार अपने दोस्त के साथ एक रेस्टोरेंट में गया। जहाँ बैठे 99% लोग अपने फोन की स्क्रीन को देख रहे थे और Up-Down स्क्रॉल कर रहे थे। ऐसा आपने भी देखा होगा या आपने भी ऐसी गलती करी होगी।
अब आप में से बहुत सारे लोग यह भी कमेंट ठोकेंगे की भाई तू तो खुद सोशल मीडिया साईट और Apps पर Active रहता है, फिर ऐसा क्यों बोल रहा है?
तो मैं आपकों बताना चाहूँगा, अगर मैं सोशल मीडिया पर Active रहता हूँ तो उसका सिर्फ एक ही मकसद है आपके साथ ऐसे ही Useful कंटेंट को शेयर करना।
आशा करता हूँ आज का यह लेख आपके लिए बहुत ही हेल्पफुल साबित हुआ होगा। अगर आप भी ऐसा ही कुछ लोगों तक शेयर करना चाहते हैं तो आप हमें Email कर सकते हैं। [email protected] आपके लेख को आपके परिचय के साथ anmolsoch.in पर प्रकाशित किया जायेगा।
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