जिस भी चीज पर हम फोकस करते हैं या यूँ कहे जिस भी चीज पर हम जादे ध्यान देते हैं, ओ चीज हमारे तरफ आकर्षित होती चली जाती है. तो क्यूँ ना उस चीज पर जादे ध्यान दिया जाए जो हमें सच में चाहिए.
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आज anmolsoch.in पर हम आपके लिए बहुत ही सुन्दर पोस्ट लिख रहे जो आपको बेहद पसंद आएगी. एक औरत थी जो रोज मंदिर पूजा करने जाया करती थी. एक दिन उस मंदिर के पुजारी से उसने बोली कि मैं अब मंदिर नहीं आउंगी. पुजारी को कुछ अजीब लगा उन्होंने उससे मंदिर न आने का कारण पूछा. क्यूँ आप ऐसा क्यूँ बोल रही हैं. क्यूँ आप मंदिर नहीं आएँगी? औरत बोली- कि अब मंदिर मंदिर के जैसा रह कहा गया है लोग इसे गपशप का अड्डा बना लिए हैं. लोग यहाँ फोने बातें करते हैं, लोग यहाँ ऊँची आवाज़ में म्यूजिक सुन रहें होते हैं फ़ोन पर. मैं तो यहाँ अब आने में बिलकुल अच्छा महसूस नहीं करती.
पंडित जी कुछ देर चुप रहे फिर उन्होंने कहा ठीक है आप इतने सालो से यहाँ आ रही है और ये निर्णय लेना चाहती हैं. लेकिन क्या उससे पहले मेरी एक बात मान सकती हैं? औरत बोली कहिये क्या करना हैं? पंडित जी बोले करना सिर्फ इतना है कि एक ग्लास में पूरा ऊपर तक पानी भरना है और उस ग्लास को हाथ में लेकर मंदिर तक आना हैं. फिर मंदिर परिसर कि दो बार परिक्रमा लगानी हैं. इस बात का ध्यान रहें कि ग्लास से जरा सा भी पानी गिरना नहीं चाहिए. उस औरत ने कहा ये कौनसी बड़ी बात है हो जाएगा. उस औरत उसे कर भी दिखाया. और ओ वापस पुजारी जी के पास गई. तब पुजारी जी ने पूछा- आपसे तीन सवाल पूछूँगा. चलिए बताइए. क्या आप ने किसी को गपशप करते देखा? क्या ने किसी को फोन पर बातें करते देखा या आपने किसी को म्यूजिक बजाते हुए सुना? उस औरत के पास तीनो प्रश्नों के जवाब ना में दियें.पुजारी जी मुस्कुराएं और बोले ये सब आपको इसलिए सुनाई और दिखाई नहीं दिया क्यूंकि आपका पूरा ध्यान ग्लास के पानी के ऊपर था ताकि कहीं पानी बाहर छलक ना जाये. हमारे रियल लाइफ में भी ऐसा ही होता है. आप मंदिर आई हैं और आपका पूरा ध्यान ईश्वर कि भक्ति में है तो आपको बाहरी चीजें डिस्टर्ब नहीं करेगी.
यह कहानी हमें यह बताती है कि हमें सिर्फ उसी पर फोकस करना चाहिए जो हमें सच में चाहिए.
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