Indigestion या हाजमे की खराबी (अपाचन)

1.0 यह (अपाचन) रोग क्यों होता है?
यह रोग भोजन पचाने वाली क्रिया (जठराग्नि) से सम्बंधित है. इसमें अमाशय तथा आँतों की पाचन-शक्ति कम हो जाती है. भूख नहीं लगती है. मॉल-मूत्र के वेगों के गति को रोकने के कारण यह रोग हो जाता है. इसके अलावा दिन में सोने, रात में अधिक देर तक जागने, अत्यधिक शोक, क्रोध, भय, चिंता, ईर्ष्या, दुःख व कलेश के कारण भी यह रोग हो जाता है.
1.1 इस रोग के पहचान के लिए निम्नलिखित लक्षण हैं:-
- इस रोग में हृदय पर भारीपन महसूस होता है.
- भोजन ग्रहण करने के बाद उलटी हो जाती है.
- दस्त खुल कर नहीं आता है तथा कई बार शौच के लिए जाना पड़ता है.
- वायु आँतों में भर जाती है तथा बहुत दर्द होता है.
- पेट फूलना, बेचैनी आदि की समस्या होती है.
- सिर तथा शरीर में दर्द, काम में मन नही लगना, चलते फिरने में तकलीफ, श्वास संस्थान पर दबाव आदि महसूस होने लगता हैं.
- ह्रदय की धड़कन बढ़ जाती है तथा मृत्यु होने का भय बना रहता है.
- हर समय रोग की तरफ ध्यान लगा रहता है. बहुत तरह की बाते दिमाग में घुमती रहती है.
1.2 इस रोग के घरेलु उपचार निम्न प्रकार के हैं :-
- अदरक को छिल कर उसके छोटे छोटे टुकड़े कर लें. उसमें निम्बू और नमक मिला कर हर रोज सुबह शाम भोजन के साथ सेवन करें.
- नीम की चार पत्तियों के रस में निम्बू मिला कर पियें.
- प्याज के रस में सेंधा नमक मिला कर पियें.
- दो चमच जीरा पानी में उबालें. एक कप पानी जब आधा रह जाये, तो उसकी तीन खुराक बना कर दिन में सेवन करें.
- सेंकी हुई हिंग, जीरा और सोंठ. तीनों में सेंधा नमक मिला कर चूर्ण बना लें और एक चौथाई चूर्ण गर्म पानी के साथ लें.
- आधा चमच पापी का दूध चीनी के साथ सेवन करने से भोजन ना पचने की समस्या दूर हो जाती है.
- मुल्ली का रस एक चमच की मात्रा में लें. उसमें थोडा-सा सेंधा नमक मिला कर सुबह-शाम उसका सेवन करें. अपाचन में आराम मिलेगा.
1.3 अपाचन का आयुर्वेदिक उपचार:-
- सोंठ, काली मिर्च, पीपल, बड़ी हरण का बक्कल, अनारदाना, चिता की जड़, काला नमक, भुनी हुई हिंग. सबको दस-दस ग्राम की मात्रा में ले कर चूर्ण बना लें. सुबह-शाम चौथाया चम्मच भोजन के कुछ देर बाद गुनगुने पानी के साथ लें.
- सोंठ, पीपल, तील, छोटी हरण, चिता की जड़, भिलावा की गिरी, बायबिडंग चूर्ण- सबको पिस कर चूर्ण बना लें. इस चूर्ण में से एक चौथाई गुड़ के साथ मिला कर सुबह शाम सेवन करें.
- भोजन के प्रारंभ में अदरक और लवण मिला कर खाने से अपच की समस्या दुर हो जाती है.
1.4 होमियोपैथिक में मिलने वाली कुछ दवाइयां :-
- मन्दाग्नि की शिकायत, गरिष्ठ भोजन हजम ना हो, तो एलनस रुब्रमुर्लाक-6 लें इससे काफी लाभ होगा.
- बिना पचे भोजन से उलटी हो जाना, उलटी के बाद सिर तथा शरीर में दर्द, कभी उलटी के बाद कष्ट नही मालूम पड़ना आदि में सेरियम आक्जौलिकम 1 एम लें.
- भोजन का बिना पचे पेट में बने रहना, बार- बार डकारे आना किन्तु उलटी का न होना. गरिष्ठ भोप्जन खाने के बाद अजीर्ण, छाती में जलन, पेट में तनाव, दर्द वायु इक्कठी होना, पेट फूलना, मुह में पानी भर आना, खाने के बाद बुरी डकार, पेट में गुडगुडाहट, जीभ सुखना आदि की स्थिति में पल्सेटिला 2X या 30X लें या दें.
- खाने-पिने की चीजे ठीक से न पचने की स्थिति में पेट में दर्द, ऐठन,दस्त या उलटी. इसके लिए इपिकाक 3X, 30X या 200 1एम लें.
- नशा करने के कारन खाना ना पचा हो तो इस हालत में लैकेसिस 30-200 लें.
- पाचन शक्ति की कमजोरी, कुछ भी खाओ हजम ना हो, सावधानी से खाने-पिने के बाद भी पेट ख़राब रहता हो, मुह का स्वाद हर समय ख़राब रहता हो, कुछ भी खाने के बाद थोडा पेट का आराम मिलना. इस स्थिति में हिपर सल्फर 3X 30,200 लें.
1.5 भोजन तथा परहेज :-

- मुंग की दाल(छिलके सहित) की खिचड़ी को दही के साथ या मुंग की पतली दल और चपाती(रोटी) खाएं.
- लौकी, तरोई, परवल की पतली (उबली हुई सब्जी) चपाती के साथ खाएं.
- रात में ईसबगोल की भूसी एक चम्मच या दो मुनक्के दूध में पक्का कर सोते वक्त सेवन करें.
- सुबह खली पेट अदरक का आधा चम्मच रस शहद के साथ चाटें.
- शराब, भांग, सिगरेट, एनी प्रकार के नशीली चीजे जैसे चाय, कॉफ़ी, आदि का सेवन न करें. चाट-पकौड़े, पुड़ी-कचौरी, खोये की चीजे, तली हुई चीजे, समोसे आदि ना खाएं.
- भोजन में हिंग और काला नमक का प्रयोग करें.
- दांतों की सफाई रखना अतिआवश्यक है.
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