हिम्मत बढ़ाने वाले प्रेरक वचन पार्ट
नमस्कार, शुभ-प्रभात हिंदी पाठको. आज हम हिम्मत बढ़ाने वाले प्रेरक वचन का पार्ट-2 आपके बीच शेयर कर रहा हूँ. आप पढ़े, और अपने दोस्तों के भी साथ इसे साझा करें.
- वास्तव में कोई भी व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति द्वारा शिक्षित नहीं किया जाता. बाहरी शिक्षक तो केवल आंतरिक शिक्षक को जागृत करता है.
- क्रोध,उत्तेजना और छोभ कवक यह दर्शाते हैं की हम अभी भी स्वामी होने की बजाय मन के दास हैं.
- इस सच्चाई को जानिए की इस संसार में रहते हुए भी आप सबसे पूर्णतया अलग है तब आप किसी भी कार्य के बंधन में नहीं फसेंगे.
- आप दूसरों में केवल वही देख सकतें हैं, जो आप में है, आप दूसरों के दोष उस समय तक नहीं देख सकते जब तक की वैसे ही दोष आप में ना हो.
- हमारे जीवन की समस्याएं और कष्ट जीवन रुपी विधालय की परीक्षाएं हैं जो हमको कई तरह की शिक्षाएं देती है.
- संसार एक रंगमंच या नाटक है, जहाँ हम एक कलाकार हैं जो अपनी निर्दिष्ट भूमिका को निभाते हैं. हमारी भूमिका नहीं वरन् यह महत्वपूर्ण होता है की हम किस प्रकार उस भूमिका को भली प्रकार से निभाते हैं.
- जीवन में आप जितने अधिक कष्टों और विपत्तियों का विरोध करेंगे,उतना ही अधिक वे आपको परेशां करेंगी, जितना अधिक आप उनको स्वीकार करेंगे, उतनी अधिक आसानी से वे आपको छोड़ देगी.
- आप दूसरों के लिए भी वहीँ हो सकते हैं, जो आप स्वयं के लिए हैं.अगर आप अपने प्रति ईमानदार हैं, तभी आप दूसरों के प्रति ईमानदार हो सकते हैं.
- सच्ची आध्यमिकता सभी धर्मों से ऊपर ले जाती है.
- पैसा आपको ख़ुशी के अलावा सबकुछ दे सकता है, उसमे आपको सुखों में भी दुखी बनाने की शक्ति होती है.
- जो कुछ भी हमारे अन्दर है वैसा ही हमें बाहरी संसार में प्रतीत होता है. इसलिए प्रत्येक मनुष्य अपना संसार अलग बनाता है, जो की एक दुसरे से भिन्न होता है.
सच्ची खुशी देने में तथा खोने में है, लेने में नहीं है.
अपने कमजोरियों को स्वीकारना तथा पहचानना उन्हें दूर करने का पहला कदम है.
आप भाग्य चक्र में घुमते हुए असहाय जीव नहीं है. आप में अपने भाग्य को आंशिक या पूर्ण रूप से प्रभावहीन करने की शक्ति है. आपने जो कुछ किया है आप उसे मिटा भी सकते हैं.
आप जिन परिस्थितियों में हैं उनके लिए आप स्वयं उत्तरदायी हैं और जब तक आप उस सत्य को स्वीकार नहीं करते आपकी परिस्थितियों को बदलने के लिए कुछ भी नही किया जा सकता.
यदि आप अपना कार्य पूर्ण दक्षता पूर्वक और कम दबाव में करना चाहते हैं तो उसे परमात्मा के सेवक के रूप में करिए. इस विचार में प्रत्येक कार्य परमात्मा के द्वारा सौपा गया हो जाता है.
यदि आप थोडा सा भी परमात्मा की ओर बढ़ सकते हैं, तो वह आपकी ओर भागेगा. यदि आप एक कदम उसकी ओर बढ़ने के लिए तैयार है, तो वह आपके तरफ दो कदम बढ़ाएगा.
जिम्मेदारियां लेते वक्त उन चीजों का भार कभी भी मत लो जो तुम्हारे हाथों में नहीं है. हर चीज का परिणाम परमात्मा के ऊपर छोड़ दीजिये और हलके हो जाइये, तुम एक सरल व विनम्र कर्मचारी हो न की फैसला करने वाले अथवा भाग्य बिधाता. यह तो सिर्फ और सिर्फ परमात्मा का कार्य है.
बुद्धिमान लोग मूर्खो से अधिक सीखते है, जबकि मुर्ख बुद्धिमानो से बहुत ही कम.
हम कुछ भी करते हैं भगवान् का भाव हमारे साथ रहना चाहिए.संसार के इस मेले में हम तभी तक सुरक्षित हैं जब तक हमारा हाथ उस प्रेरक शक्ति के हाथों में है. जैसे ही हमारा हाथ फिसला, हम स्वयं को इस मेले में खो देंगे, और हम एक अत्याधिक परेशानी व दुखद परिस्थिति में होंगे.
आप जो कुछ चाहते हैं उसे अपने पास रखिये, चाहे तो उससे भी अधिक रखिये लेकिन उस पर स्वामित्व रखने का विचार मत कीजिये.
सभी धर्मों के लिए एक सा विचारधारा रखें, क्यूंकि ये एक दुसरे की पूरक है, प्रत्येक धर्म दुसरे धर्मों को सुदृढ़ बनाता है.
कोई भी कार्य जो परमात्मा को साथ रखे बिना किया जाता है अधुरा है. परमात्मा को अपने कार्यों में संयुक्त किये बिना सफलता की कोई गारंटी नहीं, परमात्मा के बिना संकट कहीं से भी आ सकता हैं.
अगर आप पहला कदम उठाते हैं तो आप दूसरा भी उठा सकते हैं, अच्छी शुरुआत से आधा कार्य पूर्ण हो जाता है.परमात्मा को अपना साथी बनाओ और हमेशा अपने साथ रखो, ऐसा कोई भी कार्य नहीं जो आप परमात्मा की सहायता से नहीं कर सकते.
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