नमस्कार पाठकों, आज मैं आपके साथ कुछ ऐसे सुविचारों को आपके साथ साझा कर रहा हूँ, जो आपके जीवन को सही दिशा देने में बहुत की सहायक होने वाले है। आप सभी सुविचारों का अनुसरण करें और अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें। इस लेख के अंत में अपनी प्रतिक्रिया कमेंट के माध्यम से जरुर दें। चलिए जानते हैं के कुछ खास सुविचारों को:- life Changing Quotes in Hindi | विचार जो जीवन को दे सही दिशा
- प्रार्थना द्वारा ईश्वर को पुकारिए वह आपको आपकी कमजोरियों से मुक्त करेंगे।
-महात्मा गांधी
- प्रेम और वासना में उतना ही अंतर है, जितना अमृत और विष में।
-खलील जिब्रान
- प्रेम आत्मा से तृप्त होता है, वासना शरीर से।
-भगवतीचरण वर्मा
- प्रेम न दावा करता है, न क्रोध करता है और न बदला लेता है। वह सदा देता है और तकलीफ उठाता है।
-महात्मा गांधी
- पुरुष यदि खेत के लिए है तो स्त्री चूल्हे के लिए। पुरुष यदि तलवार के लिए है तो स्त्री सुई के लिए। पुरुष मस्तिष्क से सोचता है और नारी हृदय से। पुरुष आदेश देता है, स्त्री पालना करती है।
-टेनिसन
- पुरुष का यह मिजाज है कि वह चाहे संसार का सबसे कुरूप व्यक्ति ही क्यों न हो, उसकी निगाह अप्सराओं पर ही जाकर टिकती है।
-प्रेमचंद
- प्राण, धन और शरीर से परोपकार करना चाहिए। परोपकार से प्राप्त पुण्य सैकड़ों यज्ञों से भी ज्यादा दुर्लभ है।
-अज्ञात
- पुरुष दुःख को क्षण भर में भूल जाते हैं, लेकिन नारी जीवन भर दुःखों को याद रखती है।
-शरतचंद्र
- पतिव्रता नारी मैली-कुचैली और बदसूरत होते हुए भी पतिव्रता गुण के कारण सभी सुंदरियों से ज्यादा आकर्षक हो जाती है।
-कबीर
- प्रत्येक स्त्री को चाहिए कि वह जल्दी से शादी करे और पुरुष को चाहिए कि वह जब तक संभव हो शादी से दूर रहे।
-जॉर्ज बर्नाड शॉ
- पति होना पूर्ण समय के लिए नौकर होना है।
-बेनेट
- पति और पत्नी का संक्षेप में सर्वश्रेष्ठ धर्म यह है कि वह मृत्यु तक परस्पर विश्वास करें।
-अपराक
- प्रार्थना करने वाले को लक्ष्मी मिले या न मिले, लेकिन जिसे लक्ष्मी चाहे वह लक्ष्मी के लिए दुर्लभ नहीं।
-कालिदास
- पवित्र हृदय से निकली प्रार्थना ईश्वर को स्वीकार होती है।
-महात्मा गांधी
- प्रत्येक व्यक्ति बुद्धिमान होने का प्रयत्न करता है और वे लोग जो बुद्धिमान नहीं हो सकते, वे लगभग सदैव ही चालाक होते हैं।
-सैमुअल जॉनसन
- प्यार रहने तक स्वप्न रहते हैं, शादी होते ही आंखें खुल जाती हैं।
ए-लेक्जेंडर पोप
- परमात्मा को प्राप्त कराने वाली विद्या वास्तव में विद्या है।
-स्वामी विवेकानंद
- प्रतिभा लेखक नहीं बना सकती। उसके पीछे बहुत बड़ा व्यक्तित्व होना चाहिए।
-इमर्सन
- परमेश्वर की दृष्टि में सदाचारी मनुष्य नास्तिक होते हुए भी सम्माननीय है।
-कुरान शरीफ
- कुछ पैदा होने के साथ महान बन जाते हैं, कुछ कर्मों के द्वारा महान बनते हैं और कुछ पर महानता थोप दी जाती है।
-सरदार पटेल
- परिवर्तन का नाम असंगति नहीं है। परिवर्तन यदि मुझे अपने लक्ष्य की ओर न ले जाता हो तो वह असंगति हो सकती है।
-अज्ञात
- प्राणियों में स्त्री जाति पुरुष जाति से अधिक घातक होती है।
-रूडयार्क किलिंग
- पृथ्वी पर कोई ऐसा दुःख नहीं जिसकी दवा स्वर्ग में न हो। लेकिन उस दवा के लिए स्वर्ग जाने को कोई तैयार नहीं।
-मूर
- प्राप्त करने योग्य दो विधाएं हैं-शस्त्र विद्या और शास्त्र विद्या। इनमें से प्रथम तो वृद्धावस्था में हास्यास्पद बनती है दूसरी सदा आदर देती है।
-भर्तृहरि
- पतंग सदैव हवा के विरुद्ध सबसे ऊंची होती है न कि उसके साथ साथ।
-विन्सटन चर्चिल
- प्रत्येक देश में वैसी ही सरकार होती है जिसके लायक वह देश होता है।
-जोसफ डी. मैस्टर
- परमेश्वर विद्वानों की संगति से प्राप्त होता है।
-ऋग्वेद
- पदार्थ, जीवन, मन तथा आत्मा की मान्यताएं हमारी बुद्धि के विभाजन के कारण हैं, सम्पूर्ण सत्य इनसे परे तथा इनमें भी व्याप्त होने के कारण एक तथा अखंडनीय है।
-सुमित्रानंदन पंत
- प्रत्येक क्षण का उपयोग कर विद्या और प्रत्येक कण का ध्यान रखकर धन का अर्जन करना चाहिए, क्योंकि क्षण का नाश होने पर विद्या कहां? और कण का त्याग करने पर धन कहां?
-महाभारत
- प्रलय के समय समुद्र अपनी मर्यादा को त्याग देता है और किनारों को छोड़ देता है। लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के समान विपत्ति आने पर भी मर्यादा नहीं छोड़ता।
-चाणक्य
पेट पालने के लिए ही तो हम आदमी नहीं बनाए गए हैं। हमारे जीवन का आदर्श तो कुछ ऊंचा होना चाहिए। विशेषकर उन लोगों का जो सभ्य कहलाते हैं। ठाट से रहना ही सभ्यता नहीं है।
-प्रेमचंद
- परमात्मा ने अपनी महिमा के प्रदर्शन के लिए ही मनुष्य की सृष्टि की है।
-रामकृष्ण परमहंस
- पुराने लोग नेकी कर दरिया में डाल आते थे। इस दौर का इन्सान नेकी करके चीखता है।
-जुबेर रिजवी
- परमात्मा और मनुष्य इन दोनों की इच्छाओं का एकीकरण करना ही प्रार्थना का सार है।
-स्वामी रामतीर्थ
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- पतझड़ हुए बिना पेड़ों में फल नहीं लगते।
-रज्जबी
- पाने की अपेक्षा देने की भावना श्रेयस्कर है।
-स्वामी रामतीर्थ
- प्रखर बुद्धि से भले सभ्यता हो नव निर्मित, संस्कृति निर्माण के लिए हृदय ही चाहिए।
-सुमित्रानंदन पंत
- प्रकृति की ओर लौटो
-रूसो
- पूजा या प्रार्थना वाणी से नहीं, हृदय से करने की चीज है।
-महात्मा गांधी
- प्रेम मानवता का दूसरा नाम है।
-गौतम बुद्ध
- प्रभु के प्रति सच्ची भक्ति ही जीवन में सच्चे वर की प्राप्ति है। वेद, शास्त्र, पुराणों आदि का अध्ययन ही अपने में कोई विशेष पद नहीं हो सकता। जब तक उनके सारभूत तत्व को आत्मसात नहीं कर लिया जाए।
-संत त्यागराज
- प्रेम सौंदर्य का सबसे बड़ा जन्मदाता है।
-लूईजा एलकॉट
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