Quotes on Knowledge & Ignorance in Hindi
ज्ञान-अज्ञान पर अनमोल सुविचार:-
- जीवन में परिश्रम करके ही ज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है।
-रस्किन
- जहां अज्ञान है, वहां दुःख आकर ही रहेगा।
-अरविंद
- जब तक भगवान दूर व बाहर प्रतीत होते हैं, तब तक अज्ञान है, परन्तु जब अपने अंतर में उनका अनुभव होता है तथा यथार्थ ज्ञान का उदय होता है, तब उन्हें हृदय मन्दिर और जगत मन्दिर दोनों स्थानों पर देखा जा सकता है।
-रामकृष्ण परमहंस
- जो कुछ मुझे ज्ञान है वह यही कि मेरे पास रंचमात्र भी ज्ञान नहीं।
-सुकरात
- जहां अज्ञानता का बखान हो रहा हो, वहां बुद्धिमानी दिखाना भी मूर्खता है।
-बाल गंगाधर तिलक
- जितना हम अध्ययन करते हैं, उतना ही हमको अपने अज्ञान का आभास होता है।
-स्वामी विवेकानंद
- गाली के उत्तर में मूर्ख गाली दे बैठते हैं। ज्ञानी मौन से जवाब देते हैं।
-प्रेमचंद
- किसी व्यक्ति में कितना ज्ञान है, इसका पता इस बात से लगता है कि उसका मन विषयों में कितना अटका हुआ है या उनसे मुड़ा हुआ है।
-तुलसीदास
- कभी-कभी उन लोगों से भी शिक्षा मिलती है, जिन्हें हमने अज्ञानी समझा था।
-प्रेमचंद
- उस विषय में अज्ञानी रहो, यह ज्यादा बेहतर है बजाय अधूरा ज्ञान प्राप्त करने के।
-साइरस
- इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला नि:संदेह कुछ भी नहीं है।
-वेदव्यास
- अज्ञान ही पाप है। शेष पाप तो उसकी छाया मात्र हैं।
-ओशो
- अज्ञान के समान दूसरा कोई बैरी नहीं।
-चाणक्य
- अशिक्षित रहने से पैदा न होना ही अच्छा है, क्योंकि अज्ञान सब बुराइयों की जड़ है।
-नेपोलियन
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- अज्ञान प्रकाश को जाग्रत नहीं कर सकता, लेकिन घृणा तो ज्ञान के प्रकाश को भी बुझा देती है।
-रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- अज्ञान की दासता से मृत्यु श्रेयस्कर है। संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं और धैर्य से बड़ी शक्ति नहीं।
-सत्य सांईं बाबा
- अज्ञानी रहने से तो जन्म न लेना ही अच्छा है, क्योंकि अज्ञान ही सब दुःखों की जड़ है।
-नेपोलियन बोनापार्ट
- अज्ञान जहां वरदान हो, वहां बुद्धिमानी दिखाना मूर्खता है।
-ग्रेविल
- अज्ञान अंधकार स्वरूप है। दीया बुझाकर भागने वाला यही समझता है कि दूसरे उसे देख नहीं सकते, तो उसे यह भी समझ रखनी चाहिए। कि वह ठोकर खाकर गिर भी सकता है।
-रामचंद्र शुक्ल
- अज्ञानी के लिए मौन से श्रेष्ठ कुछ नहीं और यदि यह युक्ति वह समझ ले तो अज्ञानी न रहे।
-शेख सादी
- अज्ञान प्रभु का श्राप है। ज्ञान वह पंख है, जिससे हम स्वर्ग में उड़ते हैं।
-शेक्सपीयर
- अज्ञान से मुक्त होकर भी हम पाप से मुक्त हो सकते हैं। अज्ञान दुःख का कारण है, जिसका फल पाप है।
-स्वामी विवेकानंद
- अपने अज्ञान का आभास होना ही ज्ञान की ओर एक बढ़ा कदम है।
-डिजरायली
- अपनी अज्ञानता का आभास ज्ञान का प्रथम सोपान है।
-डिजरायली
- अपनी अज्ञानता का अहसास होना बुद्धिमता का पहला लक्षण है।
-इमर्सन
- अज्ञान से बड़ा शत्रु कोई भी नहीं।
-शंकराचार्य
- अज्ञानी रहने की अपेक्षा जन्म न लेना ही श्रेयस्कर है।
-प्लेटो
- अज्ञानता ऐसी अंधेरी रात है जिसमें न चांद आता है न सितारे।
-महात्मा विदुर
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- अज्ञानी की सबसे बड़ी संपत्ति होती है मौन। जब वह इस रहस्य को जान जाता है तो फिर वह अज्ञानी नहीं रह जाता।
-शेख सादी
- अपनी अज्ञानता से अनभिज्ञ होना अज्ञानी की सबसे बड़ी बीमारी है।
-ए. बी. एलाकॅट
- मूर्ख का मन ज्ञान में नहीं अज्ञान में लगता है। लेनिन अज्ञान किसी भी जनतांत्रिक सरकार को, पशुओं द्वारा चुनी हुई, पशुओं के लिए, पशुओं की सरकार बना देती है।
-आचार्य कृपलानी
- अल्प ज्ञान खतरनाक होता है।
-बायरन
- भगवान की परम भक्ति मनुष्यों में कामधेनु के समान मानी गई है। उसके रहते हुए भी अज्ञानी मनुष्य संसार रूपी विष का पान करते हैं, यह कितने आश्चर्य की बात है।
-नारद पुराण
- दुनिया भर का ज्ञान प्राप्त करने से पण्डित तो बना जा सकता है, लेकिन ज्ञानी बनने के लिए अनुभूति जरूरी
-ओशो
- दुःख यदि मौत के लिए है तो वह अज्ञानता की कोख से पैदा होता है।
-चाणक्य
- जिसने एक बार भी ज्ञान रूपी अमृत का स्वाद ले लिया, वह सब कार्यों को छोड़कर उसी की ओर दौड़ पड़ता है।
-जाबाल दर्शनोपनिषद
- सत्य रूप में देखा जाए तो ज्ञान दो प्रकार से दिया जाता है पहला श्रद्धावश और दूसरा दयावश।
-रामचन्द्र शुक्ल
- सुख के मंदिर में ही अज्ञान रूपी विषाद की सर्वश्रेष्ठ समाधि है।
-कीट्स
- अज्ञान एक ऐसा कांटा है, जो चुभने के बाद किसी दूसरे को नहीं दिखता; लेकिन जिसको चुभता है; उसे हमेशा परेशान करता रहता है।
-आद्य शंकराचार्य
- स्वयं को ज्ञानवान समझना सबसे बड़ा अज्ञान है। और अज्ञानी सदा दुखी रहता है।
-वेदान्त तीर्थ
- लोभ को केवल एक ही शस्त्र से काटा जा सकता है, और वह है ज्ञान। ज्ञान के अतिरिक्त इस महारोग की अन्य औषधि नहीं है।
-रामकृष्ण परमहंस
- भावनाओं में बहकर कर्तव्य से विमुख होना अस्वस्थ मानसिकता का द्योतक है।
-स्वामी विवेकानंद
- मुझे यह इकरार करने में तनिक भी लज्जा नहीं है कि मैं इस बात से पूर्णतया अनभिज्ञ हूं कि मुझे किन किन चीजों का ज्ञान नहीं है।
-सिसरो
- मितव्यता का रहस्य यह है कि वेतन मिलने के पश्चात कुछ दिन इतनी सस्ती जिंदगी गुजारो जितनी आपने वेतन मिलने से कुछ दिन पहले गुजारी थी।
-फुलर
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कीर्तिवान व्यक्ति के लिए कीर्तिनाश की अपेक्षा मृत्यु श्रेयस्कर है।
गीता
कला चित्त को क्षुद्र वासनाओं से विरक्त करने का बड़ा साधन है।
सम्पूर्णानन्द
- किसी दोष का इकरार कर लेना उसको आधा दुरुस्त कर लेना है।
-एच. जी. वेल्स
- किसी भी चीज पर एकदम विश्वास न करो। लेकिन गहराई से जांचने के बाद विश्वास आ जाए तो फिर उससे उसी तरह चिपटे रहो जैसे चींटा मीठे पर चिपकता है।
-महात्मा गांधी
- एक मनुष्य को उससे अधिक वायदे नहीं करने चाहिए, जितने वह निभा सके।
-एलिस
- एक सच्चा मित्र दो शरीर में एक आत्मा के समान है।
-अरस्तु
- गालियां स्वीकार न की जाएं तो देने वाले के पास लौट जाती हैं, अतः चुप रहो।
-सुकरात
- गाली अर्थात दुर्वचनों से ही क्लेश, दुःख तथा मृत्यु उत्पन्न होते हैं। जो गाली सुनकर हार मानकर चला जाए, वही सज्जन है। इसके विपरीत जो गाली देने के बदले में गाली देने लग जाता है, वह नीच प्रकृति का है। गालियों का उत्तर मौन से दें। गाली के उत्तर में गाली तो मूर्ख भी देता है।
-प्रेमचंद
- छोटे से बीज में विशाल वृक्ष छिपा होता है।
-जिज्ञासु
- जब तक आपके मां-बाप जिंदा हैं, आपको मुकद्दस मुकामात की जियारतों के लिए जाने की जरूरत नहीं।
-कन्फ्यूशियस
- सर्दी, गरमी, अनुराग, संपत्ति अथवा दरिद्रता जिसके कार्य में विघ्न नहीं डालते, वही पंडित कहलाता है।
-महाभारत
- गाली एक तरह की अप्रत्यक्ष श्रद्धांजलि है।
-विलियम हैजटिल
- गाली कमजोर लोग देते हैं।
-हिंदी लोकोक्ति
- सच्चे विद्वान की दृष्टि में सभी सांसारिक वस्तुएं समान रहती हैं। पत्थर, कोयला, रेत, लोहा और सोना इन सभी चीजों को वह तिनके के तुल्य देखता है।
-वैमना
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- सत्य यह है कि जब तक मन में कामना शेष है ईश्वर प्राप्ति संभव नहीं है। धर्म की गति सूक्ष्म है। यदि हमें सुई में धागा डालना है तो यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक कि धागा एक रूप न हो।
-रामकृष्ण
- शब्द जितने कम होंगे, उतनी ही अच्छी प्रार्थना होगी।
-मार्टिन लूथर किंग
- सत् ज्ञान मनुष्य को यह दर्शाता है। कि वह शरीरधारी आत्मा है। जबकि अज्ञानी समझता है कि वह एक शरीर है, जिसमें आत्मा विद्यमान है।
-स्वामी विवेकानंद
- सामान्य व्यक्ति प्रार्थना नहीं करते, वे केवल याचना करते हैं।
-बर्नार्ड शॉ
- शिव का हृदय विष्णु है और विष्णु का हृदय शिव है।
-स्कंदोपनिषद्
- वह सर्वश्रेष्ठ मूर्ख है जो संसार को सुखसागर मानता है।
-समर्थ रामदास
- सांख्य के समान कोई ज्ञान नहीं हैं। और योग के समान कोई बल नहीं है।
-वेदव्यास
- विद्या तो मनुष्य की अतुल कीर्ति है। भाग्य का नाश होने पर यह मनुष्य का आश्रय है तब यह कामधेनु के समान है, विरह में रति के समान है। यह मनुष्य का तृतीय नेत्र है यह सत्कार का घर है, कुल की महिमा है और रत्नों के बिना ही आभूषण है। अतः अन्य सब विषयों की उपेक्षा करके विद्या प्राप्त करो।
-शिव पुराण
- यदि ईश्वर से प्रेम करना चाहते हो तो पहले मानव से प्रेम करना सीखो।
-स्वामी विवेकानंद
- युवकों को यह शिक्षा मिलना बहुत जरूरी है कि अपने सामने सर्वोत्तम आदर्श रखें।
-मदनमोहन मालवीय
- आत्मा ही ब्रह्म है। आत्मा स्वयं अदृष्ट रहकर भी दृष्टा है।
-बृहदारण्यक उपनिषद
- मनुष्य की अज्ञान ग्रंथी का नष्ट होना ही मोक्ष कहा जाता है।
-वेदव्यास
- माता-पिता के समान कोई पूज्य नहीं और गुरु के समान कोई देवता नहीं, ज्ञान के समान कोई उपकारी नहीं और मोक्ष से बढ़कर कोई सुख नहीं। अतः मानव जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष पाना ही है।
-महाभारत
- वह हाथ जो किसी की सहायता करते हैं, उन होंठों से जो प्रार्थना करते हैं, अधिक पवित्र हैं।
-आर. जी. इंगरसोल
- लक्ष्यहीन चिंतन, श्रद्धा रहित नमन एवं विश्वासहीन वंदना मात्र आडंबर ही है।
-महात्मा गांधी
- नारी पुरुष से उतनी ही उत्तम है, जितना प्रकाश अंधेरे से मनुष्य के लिए क्षमा, त्याग और अहिंसा जीवन के उच्चतम आदर्श हैं। नारी इस आदर्श को कोख से ही साथ लेकर आती है।
-प्रेमचंद
- गरीब जातियों का यह यंत्र शाश्वत है कि कभी भी ज्ञान को बुद्धि का स्थान न दो। ज्ञान तुम्हें जीविका कमाने में सहायक होता है, जबकि बुद्धि तुम्हारा जीवन बनाने में।
-सैण्ड्रा कैरी
- अपने सुख के लिए दूसरों को कष्ट देना महान पाप है।
-स्वामी दयानंद
- अभीष्ट फल की प्राप्ति हो या न हो, विद्वान पुरुष उसके लिए शोक नहीं करता ।
-वेदव्यास
- अपने कुल से ऊंचे कुल में विवाह करने का मतलब है अपनी स्वतंत्रता खो देना ।
-मैसेंजर
- अपने पापों पर परदा डालना, अपने भविष्य पर परदा डालना है।
-प्रभु आश्रित
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