उपदेश पर महापुरुषों के अनमोल विचार | Quotes on preaching in Hindi
जो कहा जाए, वह वचन है। सुबह से शाम तक व्यक्ति अनगिनत शब्दों का प्रयोग करता है। ये सभी वचन हैं। ज्यादातर वचन निरर्थक ही हुआ करते हैं। वचन तब प्रवचन बनता है, जब वह हितकारी ही नहीं-कल्याणकारी भी हो। इसी परिभाषा के अनुसार इस खंड का प्रत्येक वाक्य अपने में संपूर्ण प्रवचन है 1 वचन मात्र वाणी का विलास है। यह तब प्रवचन बन जाता है, जब किसी विशिष्ट लक्ष्य की ओर संकेत करता है। आध्यात्मिक वार्ता को इसीलिए ‘प्रवचन’ कहा जाता है, क्योंकि वह मनुष्य जीवन के लक्ष्य की ओर संकेत करती है। “अनमोल सोच” पर ऐसे ही लेखों को पढ़ने के लिए बेल notification को जरुर ऑन कर लें। अगर आप एक टेलीग्राम यूजर हैं तो आप हमसे टेलीग्राम चैनल पर भी जुड़ सकते हैं।
उपदेश पर महापुरुषों के अनमोल विचार | Quotes on preaching in Hindi
- जो किसी का उपकार करना नहीं जानता, उसे किसी प्रकार का उपकार पाने का कोई अधिकार नहीं।
-लैटिन लोकोक्ति
- जिन घरों में असम्मानित व दुःखी स्त्रियां शाप देती हैं, वह घर शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। इसलिए जो मनुष्य समृद्धि चाहते हैं, उन्हें आभूषण, वस्त्र, भोजनादि से उनका सत्कार करना उचित है।
-मनुस्मृति
- जो मनुष्य अपने मुंह में लगाम देता है और जीभ को वश में रखता है, वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है।
-नीतिवचन
- जो अपने लिए नियम नहीं बनाता, उसको दूसरों के नियमों पर चलना पड़ता है।
-ओशो
- जो पुत्र अपने माता-पिता को अपशब्द है, उसकी धन संपत्ति पूर्णत: नष्ट हो जाती है।
-नीतिवचन
- जो व्यक्ति अशिक्षित है, वह गरीब है।
-जवाहर लाल नेहरू
- जब मैं और तू मेरे बीच न रह जाएंगे, उस समय मंदिर, मस्जिद और गिरजा सब तेरे लिए समान हो जाएंगे।
-धर्माधिकारी
- जिसे हर कोई देने को तैयार रहता है पर लेता कोई नहीं, ऐसी वस्तु क्या है ? उपदेश, सलाह।
-स्वामी रामतीर्थ
- जैसे पिता अपने प्रिय पुत्र को भी ताड़ना देता है, वैसे ही प्रभु उस मनुष्य को ताड़ना देता है, जिससे वह प्रेम करता है।
-नीतिवचन
- जो ईश्वर की आराधना के साथ साथ पुरुषार्थ करते हैं उनके दुःख और दारिद्रय दूर होते हैं और ऐश्वर्य बढ़ता है।
-अज्ञात
- जब कोई मनुष्य किसी दूसरे के दोषों पर उंगली उठाता है, तो उसे ध्यान रखना चाहिए कि शेष तीन उंगलियां उसकी ही ओर संकेत कर रही हैं।
-अज्ञात
- जिस घर में कोई नहीं रहता उसमें चमगादड़ बसेरा लेते हैं।
-प्रेमचंद
- जिस हालत में हो ईश्वर को। धन्यवाद करो। संसार में इससे भी अधिक कष्ट हैं।
-टॉलस्टाय
- जिसे पुस्तक पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रह सकता है।
-महात्मा गांधी
- जो खाने पहनने को देता है, वह यदि दो-एक कड़वी बात कह भी दे, तो उसे भी खाने पहनने में समझना चाहिए।
-रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को निमंत्रण देना है।
-शेक्सपीयर
- जो सीखता तो है मगर अपनी विद्या का उपयोग नहीं करता वह किताबों से लदा लट्टू जानवर है।
-शेख सादी
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- जिस कार्य में आत्मा का पतन हो वही पाप है।
-महात्मा गांधी
- जो आदमी यह समझता है कि हर बात तुरंत उसकी समझ में आ जाती है, वह कुछ भी नहीं सीख पाता।
-ब्लाउंट
- जो लुट जाने पर भी मुस्कराता है, वह चोर का सब कुछ चुरा लेता है। शेक्सपीयर
- घर का प्रेम नारी का जीवन है।
-प्रेमचंद
- गम्भीर परिस्थिति ही महापुरुषों का विद्यालय है।
-लॉक
- जिसने अपनापन खोया, उसने सब खोया।
-विवेकानंद
- जो कुछ न्यायसंगत है उसे कहने के लिए हर समय उपयुक्त है।
-सोफोक्लीज
- चित्त प्रसन्न रखने से दुःख दूर होते हैं और बुद्धि स्थिर होती है।
-वेदव्यास
- चालाकी पर किस प्रकार काबू पाया जाए। इसकी जानकारी कर लेना ही एक बहुत बड़ी चालाकी है।
-रोची
- चिढ़ता हुआ दोस्त मुस्कराते हुए। दुश्मन से अच्छा है।
-एनन
- गुण से रूप की, सदाचार से कुल की, सफलता से विद्या की और भोग से धन की शोभा होती है।
-अज्ञात
- खाक में मिलने से पहले स्वार्थ पर खाक डाल।
-स्वामी सत्यानंद
- कुछ जीवों से सदा सावधान रहो। वे हैं धनवान आदमी, कुत्ता, सांड और शराबी।
-स्वामी रामकृष्ण परमहंस
- किसी को अपने दुःखों के विषयों में न बताएं, क्योंकि दुःख सुनने को लोग तैयार नहीं।
- गालिब कायर ने अगर धमकी दी है, तो समझ लो कि उस वक्त वह सुरक्षित है।
-गेटे
- कन्यादान न करने वाले का जन्म व्यर्थ चला जाता है।
-प्रेमचंद
- कोई बुरी घटना घटने वाली होती है तो उसके पहले बुद्धिभ्रष्ट हो जाती
- प्रेमचंद काहिली और झिझक मूर्ख के लक्षण है।
-बेंजामिन फ्रैंकलिन
- काबू किया जा सकता है क्रोध को प्रेम से, बुराई को भलाई से, लोभ को उदारता से और असत्य को सत्य से।
-धम्मपद
- कुत्ते भौंकते हैं, उन्हें भौंकने दो हाथी यह सीख देता है।
-हितोपदेश
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- केवल अपने लिए मांगने वाला भिखारी कहलाता है, किंतु सबके लिए मांगने वाला साधु कहलाता है।
-महादेवी वर्मा
- क्या तुम्हारे पचास मित्र हैं ? ये भी काफी नहीं। क्या तुम्हारा एक शत्रु है, यह बहुत काफी है।
-अज्ञात
- कभी उस व्यक्ति से मित्रता मत करो, जिसने तीन मित्र बनाकर त्याग दिए हों।
-लैवेटर
- कामकाज की कल्पनाओं से केवल लाभ होता है, परन्तु उतावली करने वाले को केवल हानि होती है।
-बाइबिल
- कतरा दरिया में मिल जाए तो दरिया हो जाए। काम वह अच्छा है जिसका कि अन्त अच्छा है।
-मिर्जा गालिब
- किसी चीज को दबाना उसे शक्ति देने का दूसरा नाम है।
-ओशो
- कठिन काम पड़ने पर सेवक की, संकट के समय भाई बंधु की, आपात काल में मित्र की व धन के नाश हो जाने पर स्त्री की परीक्षा होती है।
-चाणक्य
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- कोई बाहरी ताकत इन्सान को नीचे नहीं गिरा सकती, अपने को नीचे • गिराने वाला इन्सान खुद ही है।
-महात्मा गांधी
- कायरों और संशयशील व्यक्तियों के लिए प्रत्येक वस्तु असंभव है, क्योंकि उन्हें ऐसा ही प्रतीत होता है।
-वाल्टर स्काट
- किसी को भी अपना खुद का व्यक्तित्व छोड़कर किसी दूसरे का व्यक्तित्व नहीं अपनाना चाहिए।
-विनोबा भावे
- केवल दाढ़ी रख लेने से ही कोई दार्शनिक नहीं बन जाता।
-चीनी कहावत
- कुत्ते से काटना नहीं गुर्राना सीखो।
-अनाम
- कष्ट और क्षति सहने के बाद मनुष्य अधिक विनम्र और ज्ञानी हो जाता है।
-फ्रैंकलिन
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