कब्ज़ (constipation) का रोग क्यों होता है?

कब्ज़ (कांस्टीपेशन) का मतलब है, पेट की नियमित सफाई का न होना तथा मल का कड़ा होना, मल त्याग में देरी का होना तथा आंतों की क्रियाशक्ति का क्षीण हो जाना। वैसे तो प्राकृतिक रूप में सुबह-शाम, दो बार मल त्याग के लिए जाना चाहिए।
अगर मल समय पर न उतरे, तो समझ लेना चाहिए कि कब्ज़ की शिकायत है। कई बार मल त्याग के समय काफी जोर लगाना पड़ता है, उस समय मल कड़ा तथा शुष्क आता है। ये लक्षण भी कब्ज के हैं। वास्तव में कब्ज़ कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इसके रहने पर दूसरे रोग पैदा हो जाते हैं।
कब्ज़ ज्यादा आराम करने, अपर्याप्त भोजन, तेज बुखार की स्थिति, मल-त्याग की नियमित आदत की कमी, विश्राम की कमी, व्यायाम न करना, छिलके रहित भोजन करना तथा आंतों से संबंधित बीमारियों के कारण कब्ज़ हो जाता है।
इस रोग की पहचान कैसे करें?
बेचैनी, पेट में दर्द, सिर दर्द, जी मिचलाना, पेट में वायु भरना, भोजन से अरुचि, सुस्ती आदि लक्षण कब्ज़ के कारण मालूम पड़ते हैं। कब्ज का रोग यदि पुराना हो जाता है, तो आंतों की दूसरी बीमारियां भी लग जाती हैं।
कब्ज़ रोग का घरेलू उपचार:
- रात में सोते समय दूध में मुनक्का उबालकर पिएं।
- थोड़े-से काले तिल कूटकर गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
- दो अंजीर रात को पानी में भिगो दें और सुबह चबाकर खाएं, ऊपर से पानी पी लें। इससे दस्त खुलकर आएगा।
- सुबह-शाम भोजन के बाद कम-से-कम तीन केले अवश्य खाएं।
- एक वर्ष पुराने घी में आधा ग्राम केसर पीसकर खाएं। भोजन के साथ पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
- बिजड़ी (चना + गेहूं या चना + जौ बराबर की मात्रा) की रोटी का सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती रहती है।
- सुबह के समय गन्ने का रस गर्म करके उसमें थोड़ा-सा नीबू निचोड़कर पिएं।
- अमरूद खाकर यदि ऊपर से दूध पी लिया जाए, तो कब्ज़ की शिकायत जाती रहती है।
- रात को सोते समय एक चम्मच एरण्ड का तेल दूध में मिलाकर सेवन करें।
- छोटी हरड़ को घी में भून लें। फिर पीसकर चूर्ण बना लें दो हरड़ों का चूर्ण रात को सोते समय पानी के साथ सेवन करें। सुबह को खुलकर दस्त आ जाएगा, कब्ज की शिकायत दूर हो जाएगी।
- एक नीबू का रस गर्म पानी के साथ रात को सोते समय पी लें। सुबह खुलकर दस्त आ जाएगा।
- नीबू का रस 2 चम्मच शक्कर 5 ग्राम। दोनों का शरबत चार-पांच दिन तक लगातार पिएं।
- भूखे पेट सेब खाने से कब्ज दूर होता है। सेब को छिलके सहित खाना चाहीए।
- एक चम्मच आंवले का चूर्ण रात में पानी के साथ लें।
- खरबूजा खाने वालों को कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।
- सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज दूर हो जाता है।
- कच्चा टमाटर सुबह-शाम खाने से कब्ज दूर होता है।
- साग-सब्जियों को लहसुन से छौंक दें। नित्य लहसुन खाने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।
- छोटी हरड़, सौंफ, मिसरी तीनों को समान भाग में लेकर पीसकर मिला लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण रात को सोते समय पानी से सेवन करें।
- लगभग एक सप्ताह तक नित्य गुलकंद खाकर रात को ऊपर से दूध पी लें। इससे कब्ज की शिकायतजा हती है।
- सूखे आंवले का चूर्ण नित्य एक चम्मच भोजन के बाद लें।
- आम खाने के बाद दूध पीने से सुबह के समय पेट साफ हो जाता है।
- बैंगन व पालक का सूप पाचन शक्ति को बढ़ाता है तथा कब्ज़ तोड़ता है।
- रात को सोते समय दूध में दो चम्मच शुद्ध शहद डालकर सेवन करें।
- एक चम्मच आंवले का चूर्ण शहद के साथ रात में सेवन करें।
- रात को 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह के समय इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खाएं।
- रात को तांबे के बरतन में पानी भर कर रख लें। उसमें एक चुटकी नमक डालकर सुबह के समय सेवन करें। इससे कब्ज नष्ट हो जाएगा।
- गुनगुने पानी में आधा नीबू निचोड़कर सुबह-शाम पिएं।
- गिलोय का सत्त या चूर्ण एक चम्मच गुड़ के साथ खाने से कब्ज़ हटता है ।
- रात को सौंफ का चूर्ण खाकर पानी पी लें। यह कब्ज़ को दूर करने की रामबाण दवा है।
- सौंफ, हरड़ तथा शकर तीनों को आधा-आधा चम्मच मिलाकर बारीक पीस लें। रात को भोजन 1 करने के एक घंटा बाद सेवन करें।
- ईसबगोल 2 चम्मच, हरड़ 2, बेल का गूदा तीन चम्मच। तीनों को पीसकर चटनी बना लें। सुबह-शाम इसमें से एक-एक चम्मच गर्म दूध के साथ सेवन करें।
- नीम के फूल सुखा लें। इसका चूर्ण नित्य एक चुटकी रात को गर्म पानी के साथ सेवन करें। करेले का रस एक चम्मच, जीरा आधा चम्मच, सैंधा नमक दो चुटकी तीनों की चटनी बनाकर खाएं।
- भोजन के बाद 200 ग्राम अंगूर खाने से कब्ज़ दूर होता है।
- नीबू के रस में थोड़ी-सी काली मिर्च (पिसी हुई) डालकर सेवन करें।
- दालचीनी के तेल की चार बूंदें चीनी में डालकर सेवन करें।
- शलजम को कच्चा खाने से कब्ज दूर होता है।
- रात के समय ईसबगोल की भूसी दूध के साथ लेने से सुबह को पेट साफ हो जाता हहै
- कब्ज़ को तोड़ने के लिए बथुआ तथा चोलाई की भूजी का सेवन करें।
- गुलाब की पत्तियां 10 ग्राम, सनाय एक चम्मच चूर्ण के रूप में, 2 छोटी हरड़ लेकर दो कप पानी में तीनों को उबालें। पानी जब एक कप रह जाए, तो उसे काढ़े के रूप में इस्तेमाल करें।
- सौंफ, बनफशा, बादाम गिरी मीठी, सनाय सब तीन-तीन ग्राम लेकर उसमें 10 ग्राम चीनी मिला लें। इसको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसकी तीन खुराक करें। सुबह दोपहर शाम को इसका प्रयोग करें।
- अमलतास का गूदा और 10-10 ग्राम मुनक्का मिलाकर खाएं, यह पेट साफ करने की उत्तम दवा है।
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जड़ी-बूटियों द्वारा चिकित्सा:
- ग्वार का पट्टा लेकर उसका गूदा 10 ग्राम ले लें। उसमें चार पत्तियां तुलसी और थोड़ी-सी सनाय की पत्तियां मिलाकर लुगदी बना लें। इस लुगदी का सेवन भोजन के बाद करें, कब्ज की शिकायत दूर हो जाएगी।
- इमली का गूदा पानी में भिगो दें। उसे पानी में मथकर छान लें। फिर उसमें थोड़ा सा गुड़ और थोड़ी-सी सोंठ डालकर तैयार करें। इसको भोजन के साथ खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
- तुलसी की चार पत्तियां, दालचीनी, सोंठ, जीरा, सनाय की पत्तियां, लौंग सब समान मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को एक कप पानी में उबालें। पानी जब आधा कप रह जाए, तो उसे दो खुराक करके सेवन करें।
- बेल की पत्तियां 4, सनाय की पत्तियां तीन, 3 ग्राम जायफल, दो आम की पत्तियां। सबकी चटनी बनाकर सेवन करें।
आयुर्वेदिक चिकित्सा:
- दालचीनी, सोंठ, जीरा तथा इलायची। तीनों को बराबर की मात्रा में लेकर कूटपीस लें। भोजन के बाद इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम सेवन करें।
- अमलतास के फूल 4 ग्राम की मात्रा में लेकर घी में भून लें। शाम को इनका सेवन भोजन के साथ करें।
- किशमिश 25 ग्राम, मुनक्के 4, अंजीर 2, सनाय का चूर्ण चौथाई चम्मच। सबको एक गिलास पानी में भिगो दें। थोड़ी देर बाद सबको पानी में मसलें। फिर इसको छान लें। इसमें एक कागजी नीबू का रस और शुद्ध शहद 2 चम्मच मिलाएं। सुबह के समय खाली पेट इस दवा का सेवन करें। यह कब्ज़ तोड़ने की प्रसिद्ध दवा है।
- सिरस के बीजों का चूर्ण 10 ग्राम, हरड़ का चूर्ण 5 ग्राम, सेंधा नमक दो चुटकी। सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण का सेवन नित्य भोजन के बाद रात में करें।
- भुना जीरा 120 ग्राम, धनिया भुना हुआ 80 ग्राम, काली मिर्च 40 ग्राम, नमक 100 ग्राम, दालचीनी 15 ग्राम, नीबू का रस 15 ग्राम देसी खांड़ 200 ग्राम। इन सबको अच्छी तरह पीसकर महीनचू ना लें। इसमें से 2 ग्राम की मात्रा लेकर सुबह के समय पानी के साथ सेवन करें। यह चूर्ण अग्निवर्द्धक और कब्ज़ को तोड़ने वाला है।
- अनारदाना 100 ग्राम, दालचीनी, इलायची, तेजपत्ता सभी 20-20 ग्राम सोंठ, काली मिर्च, पीपल सभी 40-40 ग्राम। सबका चूर्ण बनाकर इसमें 250 ग्राम पुराना गुड़ मिलाएं। इसमें से 4 ग्राम चटनीका रोज़ सुबह के समय सेवन करें।
- सुबह के समय 2 चम्मच ताजे गोमूत्र का नित्य सेवन करें। गुलकंद 2 बड़ा चम्मच, मुनक्का 4, सौंफ आधा चम्मच। इन सबको एक कप पानी में उबालकर पी जाएं।
- अमलतास के फूल छाया में सुखा लें। इसमें थोड़ी-सी मिसरी मिला लें। दोनों का चूर्ण बना लें। इसमें से 6 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन सेवन करें।
- एक भाग हरड़, दो भाग बहेड़ा और चार भाग आंवला। सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। यह त्रिफला का चूर्ण बना-बनाया बाजार में भी मिलता है। रात को सोते समय एक चम्मच चूर्ण दूध या पानी के साथ सेवन करें।
- सौंफ एक भाग, बहेड़ा दो भाग, गूदा कंवर गंदल तीन भाग। सबको पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसमें से प्रतिदिन दो गोलियां सुबह और दो शाम को पानी के साथ सेवन करें।
- सौंफ 50 ग्राम, गूदा घी ग्वार 100 ग्राम, सोंठ 100 ग्राम, जीरा 50 ग्राम। सबको खरल कर के चन्ने की बराबर की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह और एक गोली शाम को पानी के साथ लें।
- हर्बोलैक्स टेबलेट व कैपसूल 2 टेबलेट को सोते समय लें। इसके प्रयोग से सुबह एक दस्त ही होता है। अतः बड़े बूढ़े व रोगी भी ले सकता है।
- अगस्त्व रसायन, दो चम्मच रात को सोते समय दूध से या कुनकुने पानी से लें। इसका लगातार प्रयोग पुरानी कब्ज़ को भी खत्म कर पूर्ण आराम दिलाता है।
- डाबर की विरेचनी वटी 1 गोली रात को सोते समय लें।
प्राकृतिक चिकित्सा
- प्राकृतिक चिकित्सा में एनिमा लेने की विधि बहुत उपयोगी है। एनिमा सुबह को शौच जाने के बाद लेना चाहिए।
एनिमा लेने का तरीका
- एनिमा सीधे लेटकर लिया जाता है। कुहनी या घुटनों के बल होकर पुट्ठों को ऊपर कर लेते हैं।
- एनिमा लेने के पहले दो गिलास गुनगुना पानी पीना बहुत लाभदायक है।
- एनिमा का बैग लगभग 4 फुट की ऊंचाई पर रखना चाहिए।
- आंतों में 6 लीटर तक पानी लेने की जगह होती है, पर लगभग 3-4 लीटर पानी ही लेना चाहिए। कहने का आशय यह है कि आराम से जितना पानी लिया जा सकता है उतना ही लेना चाहिए।
- शुरू में गर्म पानी लेना चाहिए। पानी में दो चम्मच नीबू का रस, थोड़ा-सा पिसा नमक तथा जरा-सा सोडा डालना चाहिए।
- एनिमा लेने के लिए सबसे पहले घुंडी खोलकर उसकी हवा निकाल देनी चाहिए। इसके बाद नली को तेल से चुपड़ लेना चाहिए। इसके बाद गुदा में नली को सरकाना चाहिए। एनिमा लेने के बाद तीन-चार मिनट तक रुकना चाहिए। लगभग 2 या 2.5 लीटर पानी 10 मिनट में लेना चाहिए। एनिमा की नली निकालने के बाद दस्त लगेगी। अतः मल को प्राकृतिक रूप से निकलने दें। जोर न लगाएं, धीरे-धीरे आंतों में जमा पुराना मल निकल जाएगा। एनिमा से पेट साफ करने के बाद स्नान किया जा सकता है।
- प्राकृतिक चिकित्सा में कब्ज़ दूर करने के लिए पेट पर मिट्टी की पोटली भी बांधी जाती है। • कमर तक पानी में बैठकर स्नान किया जाता है।
- पेट पर पंद्रह मिनट तक पानी की धार छोड़ने से भी काफी लाभ होता है।
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होम्योपैथिक चिकित्सा
- मल कड़ा, त्याग करने की इच्छा बिलकुल न होना, काली लोंड़ी-सा मल, गहरा कब्ज। इन सब लक्षणों में ओपियम 3-6 लेना चाहिए।
- मल-त्याग की इच्छा होने पर भी मल न निकलना, मल द्वार पर जैसे ढक्कन-सा लग गया हो, मरोड़ आदि। इन लक्षणों में एना कार्डियम 3, 6 लेना चाहिए।
- दो-तीन दिनों तक मल त्याग की इच्छा का न होना, मल-त्याग के समय जोर लगाने पर भी मल का न निकलना। मल पत्थर जैसा गोल, शौच के बाद मलद्वार में खुजली व दर्द। इन लक्षणों में एल्युमेकन 6, 30 दें।
- शौच की इच्छा पर शौच न होना, बुरी हालत का कब्ज। इसमें एस्टिरियस 3, 6 दें।
- पेट में वायु का बनना, पेट में गुड़गुड़, वायु का बार-बार निकलना, कड़ा मल, टुकड़ों में मल निकलना, मल के साथ कभी-कभी आंव भी। इस दशा में एमोनम्यूर 6, 30 देना चाहिए।
- साधारण कब्ज़ से लेकर कठोर कब्ज़ तक के लिए मोमर्डिका कैरशिया 6 देना चाहिए।
- मलद्वार की कमजोर शक्ति के कारण कब्ज़ में साइलीशिया 30-200 दें।
- लगातार शौच जाने की इच्छा, मल साफ होकर न निकलना, मल त्याग के बाद भी पेट में भारीपन, बार-बार मल निकलने की इच्छा होना। इसमें नक्स बामिका दें।
- साधारण से कब्ज़ में फेरमसिमाने 6 या 30 दें।
- मल कड़ा, उस पर आंव लिपटी हो। इसके लिए कैस्केरिला-6 दें।
- कब्ज़ में फिलिक्स मास-6 भी लाभकारी है।
- भयंकर कब्ज़ की हालत, जोर लगाने पर भी मल का न निकलना। ऐसा लगे जैसे मल आंतों में अटक गया हो। इन लक्षणों में प्लैटिना-6 दें।
- सुबह-शाम ठीक से शौच न होने पर स्टैफिसेगिया 6-30 दें।
- पेट में दर्द और कड़ा मल। इसके लिए विरेद्रमएल्व-6 दें।
कब्ज़ में भोजन तथा परहेज़
- आधे से ज्यादा चोकर मिलाकर गेहूं तथा जौ की रोटी खाएं। भूख से एक रोटी कम खाएं।
- दालों में मूंग तथा मसूर की दालें ले सकते हैं।
- सब्जियों में कम से कम मिर्च-मसाले डालकर परवल, तोरई, टिंडा, लौकी, आलू, शलजम, पालक, मेथी आदि की सब्जियों का सेवन करें ।
- अमरूद, आम, आंवले, अंगूर, खरबूजा, खूबानी, पपीता, जामुन, नाशपाती, नीबू, बेल, मुसम्मी, सेब, संतरा आदि फलों का सेवन करें।
- चावल, कठोर पदार्थ, तैलीय चीजें, खटाई, रबड़ी, मलाई, पेड़े आदि का सेवन न करें।
- खाने के साथ थोड़ी-सी कच्ची हरी सब्जी या सलाद जरूर खाएं। खीरा, टमाटर, नीबू, बंद गोभी आदि कच्ची ही खाई जा सकती हैं।
- गाजर, टमाटर, शलजम, संतरा आदि के रस भी पीते रहें ।
- कब्ज़ निवारण के लिए हलके व्यायाम तथा टहलने की क्रिया भी करें।